तनमन सराबोर है रंग से
धूम मचाती आई होली
वन उपवन में टेसू फूले
सरसों-सी लहराई होलीमहक उठी
फिर से अमराई
दिन मदमस्त रात अलसाई
सात स्वरों में कोयल बोली
मेरे संग भी खेलो होली
परदेसी घर लौट के आए
गोरी का मन बहका जाए
हौले से घूँघट पट खोली
अब खेलूँगी मैं भी होली
रंग गुलाल अबीर उड़ाती
झांझ मजीरा ढोल बजाती
फगुआ गाती आई टोली
मिल कर सब खेलेंगे होली
देवर मारे भर पिचकारी
कोरी चूनर भी रंग डारी
भिगो दिया लहंगा और चोली
इसीलिए तो आई होली
कहे 'आज़मी' प्रियतन आवो
होली के रंग में रंग जावो
अब ना खेलें आँख मिचौली
आवो हम भी खेलें होली
- सावित्री तिवारी आज़मी |