फागुन!
तुम्हारे आते ही
मौसम कसमसाने लगा है
सर्दी का मन नहीं है जाने को
लौट-लौट आती है
अपना आभास करने कोप्रकृति को
तुमने
हरे-पीले रंगों से भर दिया है
सच मानो,
तुम्हारे आने से
चमत्कार हुआ है
दिल मचलने लगा है
गीत लब पर आने लगे हैं।
तुम्हीं बताओ फागुन!
तुम्हारे आने पर
तन-मन क्यों उड़ने लगा है
क्यों किससे का इंतज़ार होने लगा है
ये शिद्दत तुम ही दे पाते हो।
तुम्हें शुक्रिया दूँ
या तुम्हारा अहसान मानूँ
तुम खुद ही तय करो,
मैं तो निस्तब्ध हूँ, चकित हूँ, मौन हूँ
तुम्हारे आगमन से
आई बहार को देखकर, महसूस कर।
मधुलता अरोरा
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