फागुन आया मन हर्षाया
चौराहों पर अलख जगायातम सर्दी
को दूर भगाया
प्रात: सिंदूरी छेड़ जगाया
नव दुल्हन-सा चित शर्माया
निहित प्रेम नैनन छलकाया
द्वार सखी ने मंगल गाया
घर-घर टोली रास रचाया
चंचल कान्हा चैन चुराया
चटख रंग हर ओर गिराया
अबीर गुलाल चहुँ दिशा उड़ाया
ठिठुरी-ठिठुरी भीगी काया
बीते युगों की यादें लाया
फागुन आया मन हर्षाया
- नीलम जैन |