आओ शिक्षा, ग्रहण करेंगे
बिल्डिंग भले नहीं
खुली हवा में बैठें, ए. सी. -
ना हो खले नही
पाठ सरल, शांति से सीखो सरल रहो, ना एठो
भटके मन ना इधर, ध्यान दो आसन पर आ बैठो
जूते दूर रखें, चप्पल के
दर्शन चले नहीं
नारी शिक्षा, से समाज में, चमत्कार ही होगा
ज्ञान, लिये दीपक हाथों में, तजो तमस का चोगा
पढना लिखना बड़ा जरूरी
अनपढ चले नही
शोषण हो समाज में जब-जब, अवश्य मुखड़ा खोलो
घर में अत्याचार सहो ना, मुखरित हो कर बोलो
हक माँगो बस, अब कुटुम्ब की
बहुएँ जलें नहीं
मैत्रेयी गार्गी का भारत खोज रहा नूतन राहें
विदुषियां विद्वान सभा में, वैचारिक-विनिमय चाहें
अंधकार हो दूर, ज्ञान का-
सूरज ढले नही
- हरिहर झा
१ सितंबर २०२४ |