बस्ते में बच्चे रख रहे
हैं
ताज़ा उगी सुबह की धूप का टुकड़ा
जैसे वे अपनी किताबों को
किसी अदृश्य अँधेरे से बचाना चाहते हैं
वैसे किताबों के बारे में
सबसे ज़्यादा जानकारी है बस्ते के पास
उसे ही पता है किताबों में छपे हर अक्षर का
सही-सही वजन
बस्ता सबसे ज़्यादा नजदीक होता है
किताबों की गंभीर ऊष्मा के
वही पहचानता है ठीक-ठीक
पीठ के पसीने और बाँसी कागज की
मिली-जुली विशिष्ट गंध
उसीने सबसे ज़्यादा बचाया है साहित्य को
भिगो देने वाली बारिश और तेज़ धूप से
तुलसी और शेक्सपियर को लगभग एक साथ
बस्ते को ही सबसे अधिक चिंता है
नाजुक पीठ और मासूम दिमाग पर पड़ रहे बोझ की
हम यहाँ बैठे इतने जटिल रूपक तलाश रहे हैं
उधर बहुत ख़ुश है बस्ता
बच्चे उसके अंदर रंगीन पत्थर, कंचे
और कागज के हवाई जहाज रख रहे हैं
वे उसे एक संग्रहालय बनाने की कोशिश में हैं
- विशाल श्रीवास्तव
१ सितंबर २०२४ |