अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

        यह पतंग जीवन की

 
सुंदर तन पर विविध रंग ले उड़ी जा रही
यह पतंग जीवन की

श्वेत-श्याम सच और झूठ हैं
सुर्खलाल अनुरागी
केसरिया रंग जीत इंद्रियाँ
बना रहा है त्यागी
धानी-हरा बिखेरे खुशियाँ
शांत भाव उपजाए
मन में नव उल्लास
जगाकर पीत वर्ण शगुनाए

नभ में सतरंगी पंखों
से उड़ी जा रही
यह पतंग जीवन की

बँधी विधाता हाथों
उर्मिल डोरी है साँसो की
दशा-दिशा नित बदल
पुष्टि करती है विश्वासों की
उतना ही आकाश छू सकी जितनी लंबी साँसें
तन-मन-प्राण संभाले डोरी केवल ईश कृपा से

सुख-दुख को प्रारब्ध
मान ये उड़ी जा रही
यह पतंग जीवन की

- डॉ मंजु लता श्रीवास्तव
१ फरवरी २०२१

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter