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       पतंगें

 
उड़ती बेशुमार पतंगें
दूर गगन के पार पतंगें

बिन माँझे के और बिन डोरी
समझो है बेकार पतंगें

संग हवा के बातें करतीं
लहराती दिलदार पतंगें

पेंच लड़ाती एक दूजे से
देखो नखरेदार पतंगें

ढीलतान ये खूब समझतीं
होती हैं हुशियार पतंगें

आसमान छूने का सपना
कर लेती साकार पतंगें

दो माँझें की उलझन में फंस
अक्सर खाती मार पतंगें

'रमा' प्यार में कट जाती हैं
दिल की बाजी हार पतंगें

- रमा प्रवीर वर्मा
१ फरवरी २०२१

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