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.पतंग
एक प्यार है |
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पतंग एक प्यार है
रूप बदले, रंग बदले
आभरण सुन्दर मढ़े
झोंके हवा के, पथ नए
नादान जैसे गढ़ लिए
आसमाँ में झाँकती दृष्टि बारंबार है
विछोह भी है, मिलन भी
सकून इसी में साधना
प्रेम के कोड़े पवन में
दर्द-ए-दिल से बाँधना
खुले नभ में मेल है हृदय में अभिसार है
डाल डोरे वासना के
विषधर माँझा आए जब
ईर्ष्या, जलन रॉकेट बन
बयार से टकराए जब
नियंत्रण, शांत नैनो के नजर की मार है
जाऊँ कैसे कब जाऊँ
राहें सुरक्षित है नहीं
भेंट हो जाए कहीं पर
साजन प्रतीक्षित है नहीं
जल गया दौर्बल्य, बस भय क्षितिज के पार है
- हरिहर झा
१ जनवरी २०२३ |
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