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    दिल की उड़े पतंग

 
अम्बर पर यों नाचती, दिल की उड़े पतंग
माझा रंगा प्रेम से, जिय में उठी उमंग

भाँति भाँति के रंग में, छोटी बड़ी पतंग
अंबर को यों ढँक दिया, देख हुए सब दंग

नए साल में मिल रहे, तिल पपड़ी के संग
बचपन को फिर याद कर, ढीलें डोर पतंग

उत्सव के इस रंग में, फैली नई उमंग
गुड गुड मीठा बोल कर, अपनी उड़े पतंग

सतरंगी-सी पूँछ पर, यों इतराए पतंग
पेंच लड़े, कटकर गिरे, करती सबको तंग

नभ किरणों से खेलती, अंबर छुए पतंग
डोरी बाँधी प्रेम की, पाती भेजी संग

- स्मृति गुप्ता
१ जनवरी २०२३

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