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नव वर्ष अभिनंदन


 अभिनंदन

आलोकित हो नया साल 

कोमल किसलय जैसे
नव पल्लव हरि आए
नये वर्ष का आगमन
हृदय आज हर्षाए

सब मिल करें कामना
ईश हँसी खुशी लाए
ग़म के घर आँगना
शुभकामना बरसाए

सुख शांति व प्रगति
हर मन को लुभाए
हर नारी हर पुरुष
बूढे बच्चे मुस्काए

अभिनंदन है अभिनंदन
नववर्ष तुम आए
नव आशाओं की ज्योति तुम
अपने संग में लाए

 - डा. आशा गुप्ता
1 जनवरी 2007

समय कभी भी थमा नहीं
सदियाँ बीती बीते पल
सुखदुख लेकर अपने अंदर
साल और एक बीता कल

मंगलमय नए इस साल में
स्नेह प्यार के हों उपहार
कटुता द्वेष निराशा नफ़रत
दूर हटा दे मन का प्यार

नूतन वर्ष नई उम्मीदें
नव उल्लास नया कोलाहल
फैले नई उषा की लाली
नवल प्रभात छलके छल-छल

आलोकित हो नया साल
सब स्वप्न सजाएँ नए-नए
पथ में एक भी काँटा न हो
सुख का नर्म कालीन बिछे

नहीं आएँगे बादल ग़म के
आज सभी की फले दुआ
संजोएँ नव अभिलाषाएँ
नया साल अवतरित हुआ

संध्या

  

नया साल

एक पूरा का पूरा साल
मेरे हाथों से फिसलकर
रातों के अंधेरों में
डुब गया।

बुंदनियाँ बरसीं
पुराना ढाँचा
धुल गया।
और अचानक ही
घने कुहरे के बीच से
लाल रोशनी का खज़ाना टपककर
मेरी हथेलियों को
रंग गया।

एक पूरा का पूरा साल
मेरे हाथों में बँध गया।

बिंदु भट
1 जनवरी 2007

 

 

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