नववर्ष
नया वर्ष शुभ मंगलमय हो निष्कंटक हो मार्ग पथिक का
जिधर बढ़े पग उधर विजय हो।
खींची हुई काली रेखाएँ
पलक झपकते ही मिट जाएँ।
गरज रहे ये प्रलयंकारी
आतंकी बादल छट जाएँ।
प्रात: ही स्वर्णिम किरणों में
दृष्टि तुम्हारी ज्योतिर्मय हो।
नया वर्ष शुभ मंगलमय हो
जाति धर्म की खड़ी शिलाएँ।
गल-गल पिघल स्वयं बह जाएँ।
भेदभाव की चिर प्राचीरें
एक-एक कर सब ढह जाएँ।
घृणा द्वेष के मरुथल मरुथल
प्रणय सुमन खिल उठें अभय हो
नया वर्ष शुभ मंगलमय हो
नूतन वर्ष पुरातन चिंतन।
आह्लादित है जन-जन जीवन।
सत्यम शिवम सुंदरम का हो
मानस-मानस नव परिवर्तन।
बीते सुख दुख क्षण विस्मृत हों
आगत प्रतिपल क्षण मधुमय हों।
नव प्रभात का कर आलिंगन।
नए वर्ष का स्वागत वंदन।
गत को विनत प्रणाम हमारा
आगत का शत-शत अभिनंदन।
शक्ति प्रदान करे माँ ऐसी
तेरे स्वर में स्वर गतिमय हो।
नया वर्ष शुभ मंगलमय हो।
प्रेमचंद्र सक्सेना 'प्राणाधार'
16 फ़रवरी 2005
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