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नव
वर्ष अभिनंदन |
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नये साल
में |
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ज़िन्दगी हो
सुहानी नये साल में
दिल में हो शादमानी नये साल में
सब के आँगन में अबके महकने लगे
दिन को भी रात-रानी नये साल में
ले उड़े इस जहाँ से धुआँ और घुटन
इक हवा ज़ाफ़रानी नये साल में
इस जहाँ से मिटे हर निशाँ झूठ का
सच की हो पासबानी नये साल में
है दुआ अबके ख़ुद को न दोहरा सके
नफ़रतों की कहानी नये साल में
बह न पाए फिर इन्सानियत का लहू
हो यही मेहरबानी नये साल में
राजधानी में जितने हैं चिकने घड़े
काश हों पानी-पानी नये साल में
वक़्त! ठहरे हुए आँसुओं को भी तू
बख़्शना कुछ रवानी नये साल में
ख़ुशनुमा मरहलों से गुज़रती रहे
दोस्तों की कहानी नये साल में
हैं मुहब्बत के नग़्मे जो हारे हुए
दे उन्हें कामरानी नये साल में
अब के हर एक भूखे को रोटी मिले
और प्यासे को पानी नये साल में
काश खाने लगे ख़ौफ़ इन्सान से
ख़ौफ़ की हुक्मरानी नये साल में
देख तू भी कभी इस ज़मीं की तरफ़
ऐ नज़र आसमानी ! नये साल में
कोशिशें कर, दुआ कर कि ज़िन्दा रहे
द्विज ! तेरी हक़-बयानी नये साल में.
द्विजेन्द्र
द्विज
२९ दिसंबर २००८
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साल नया है
जश्न है हर सू, साल नया है
हम भी देखें क्या बदाला है.
ग़ैर के घर की रौनक है वो
अब वो मेरा क्या लगता है.
दुनिया पीछे दिलबर आगे
मन दुविधा मे सोच रहा है.
तख्ती पे 'क' 'ख' लिखता वो-
बचपन पीछे छूट गया है.
नाती-पोतों ने जिद की तो
अम्मा का संदूक खुला है.
याद ख्याल आई फिर उसकी
आँख से फिर आँसू टपका है.
दहशत के लम्हात समेटे
आठ गया अब नौ आता है.
सतपाल ख्याल |