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नया साल आया

स्वागत की ऐसी तैयारी
क्लबों होटलों में
नई पौध का उमड़ा सारा
जोश बोतलों में

फर्राटा भरती सड़कों पर
नशा नया छाया

सिर्फ औपचारिकता ही अब
बाकी बची यहाँ
नया वर्ष शुभ हो कहने का
वह आनंद कहाँ

नए वर्ष की नई सुबह पर
मन ने समझाया

रमुआ कल भी भूखा सोया
भूखा ही जागा
उठकर सुबह पेट की खातिर
रिक्शा ले भागा

आज और कल में उसने कुछ
फर्क नहीं पाया

- योगेन्द्र वर्मा व्योम
२९ दिसंबर २०१४

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