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वर्ष नव है
 
वर्ष नव है, मास नव है
आ नए कुछ गीत गा लें
और नूतन दिन मना लें

सूखते से जा रहे वे
भाव के सम्बन्ध सारे
नेह के आभाव में हैं
दिग्भ्रमित नन्हें सितारे
उनकी उँगली थाम कर चल
प्रेम के कुछ दीप बालें
नन्हीं आँखे रख सकें जो
रोशनी आ वह चुरा लें
और नूतन दिन मना लें

होटलों में गीत गाकर
जो नए का जश्न गाते
और सौंधी सभ्यता को
ताक पर रख कर भुलाते
आ उन्हीं के संग साँझे
चूल्हे में फिर आग डालें
शुष्क रिश्ते नेह के जो
आँच में हम आ गला लें
और नूतन दिन मना लें

- सुवर्णा दीक्षित
२९ दिसंबर २०१४

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