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नए साल में
 
नई फसल के नए धान-से
हम आएँगे

हम आएँगे पिछले सालों के
पिछली पीढ़ी वाले सब अनुभव लेकर
शोर-चिंघाड़ों हाहाकारों के युग में
चिड़ियों वाले कुछ कलरव लेकर
नए साल के नए द्वंद्व के
धूपदान-से
हम आएँगे

नई-नई विपदाओं वाली
बेशकीमती शालें ओढ़े
क़र्ज़-उधार बाँटने वाले
सेठ-साहुकारों के आगे करतल जोड़े
नए साल में लूट-ठगी के
नए प्लान-से
हम आएँगे

नए साल की नई धूप को
नए धान पर पड़ने दें रस-रंग बढ़ेगा
तौर-तरीके बदलें बेशक
घर के भीतर बाजारी छल-छंद बढ़ेगा
नए साल के विज्ञापन में
प्रीत-गान-से
हम आएँगे

- पंकज परिमल
२९ दिसंबर २०१४

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