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नवल वर्ष है आया |
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बीता वर्ष पुरातन छोडो
क्या खोया क्या पाया
नवल वर्ष है आया
तन्द्रा भंग सुहाना कलरव
मुर्गा बाँग लगाता
किरण धो रही कालिख सारी,
दिनकर द्वार बजाता
सागर जल में नहा रश्मियाँ,
दुति चन्दन लेपेंगीं
पौ फटते ही तिलक सिंदूरी,
सूरज भाल लगाया
नवल वर्ष है आया
भोर उठी आगी सुलगाती,
धुंध धुआँ संग जाती
पीली धूप पकौड़ी तलती
श्यामा दूध दुहाती
किया कलेऊ लगे काम क्षण
अपने अपने रस्ते
किरणें मंगल गीत गा रहीं
वन्दनवार सजाया
नवल वर्ष है आया
नन्हें की उम्मीद बड़ी है
बड़े बड़े हैं वादे
दृढ संकल्पित जुटे सभी हैं
सबके नेक इरादे
नए वर्ष के नव दिन हम मिल
एक वृक्ष रोपेंगे
नवल क्रांति हो पूर्ण शांतिमय
भ्रात्र धर्म अपनाया
नवल वर्ष है आया
- हरिवल्लभ शर्मा
२९ दिसंबर २०१४ |
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