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सिद्धि प्रदायक वर्ष नव |
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सिद्धि प्रदायक वर्ष नव,
धर्म-कर्म-शुभ-अर्थ
मंशा कुत्सित दानवी, लब्धसिद्धि हित व्यर्थ
शाश्वत मनस स्वभाव से, नूतन नवल स्वरूप
खेल रही मृदु ओस में, खिलखिल करती धूप
आओ मिलजुल तय करें, हमसब निज संसार
स्वीकारें उत्साह पल, जीयें मधुमय प्यार
आँखें, उम्मीदें तरल, आँखें, कठिन यथार्थ
आँखें, संबल कृष्ण-सी, आँखें, मन से पार्थ
इच्छा आशा औ’व्यथा, भाव-भावना रूप
फिर भी कुहरे में निकल, पुलक किलकती धूप
वेला भावोदय शुभम्, तजें द्वेष आलस्य
संवत्सर नव कामना, भक्ति तुष्टि तापस्य
दे पाया क्या सोचिये, जन-गण का उन्माद
वही सड़क, पत्थर वही, वही इलाहाबाद!
- सौरभ पाण्डेय
५ जनवरी २०१५ |
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