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नव किरणों से है सजा |
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इतनी खुशियाँ रोप दें, आओ हम
इस वर्ष।
बैर मिटें दिल से सभी, छाये मन में हर्ष।
दस्तक नूतन वर्ष की, छाने लगी उमंग
बस्ती-बस्ती धूम है, घुला खुशी का रंग।
अभी-अभी तो था "नया", अब है "बीता साल"
चलता रहता वक्त तो, यूँ ही अपनी चाल।
लें प्रण हम ये इस बरस, नारी का हो मान
उर्जा का संचार हो, भारत बने महान।
नव किरणों से है सजा, कण-कण व्याप्त उजास
दिनकर नूतन वर्ष का, भरता नव उल्लास।
आओ मिल नव वर्ष ये, जरा बना दें खास
मजहब का बंधन हटा, लायें सब को पास।
शुभ-शुभ नूतन वर्ष हो, खुशियाँ मनें अनंत
राग-रंग इतनें खिले, जैसे खिले बसंत।
उगते को ही पूजना, है दुनिया की रीत
बिसरा देंगे फिर सभी, साल गया जो बीत।
- दिव्या राजेश्वरी
५ जनवरी २०१५ |
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