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सबने है फरमाया
 
नया वर्ष हो
खुशहाली का
सबने है फ़रमाया

लगे होर्डिंग विश करने को
चैनल चले, भुनाने
अरकाइव से प्रकट हुए फिर
किस्से नए-पुराने
'अ आ इ ई' से
'ज्ञ' ज्ञानी तक
शब्दों की सब माया

एक बरस में क्या करना था
क्या कुछ हैं कर पाये
बड़ा कठिन है महागणित यह
मौन हुए सरमाये
पाई का भी
मान वही है
सूत्र कहाँ बन पाया

पोल नृत्य की गहराई में
खोये मन सैलानी
आँखों में कुछ नशा चढ़ा है
खोज रहे हैं पानी
खुश हैं
इतनी-सी दुनिया में
खाया खूब कमाया

- अवनीश सिंह चौहान
२९ दिसंबर २०१४

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