स्वागतम सहर्ष लिखें,
धवल-नवल वर्ष लिखें !
सुख, वैभव, प्रमुदित मन
सुमधुर उत्कर्ष लिखें !
गुजर गया, गया साल
पल, क्षण, संघर्ष लिखें !
चपल-चतुर आश्वासन
अब न हो विमर्श लिखें !
स्वाहा हो भ्रष्ट तंत्र,
मंहगाई, अपकर्ष लिखें !
उठे फर्श से सूरज
छू ले जो अर्श लिखें !
- विश्वंभर शुक्ल
५ जनवरी २०१५ |