अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

नये साल में
 
नये नये सपने आँखों में
भीतर का विश्वास नया है
नया नहीं है यूँ तो कुछ भी
पर मन का उल्लास नया है

उलझ गया पाँवों में दफ्तर
मौसम हमसे सँभल न पाया
जीवन की आपाधापी में
कैलेण्डर तक बदल न पाया
पर मन की आँखों से देखो
धरा नयी आकाश नया है

कसें इरादों की मुट्ठी फिर
पर में नयी उड़ानें बाँधें
जिनके सुर कुछ भटक गये थे
फिर से वही तराने साधें
टूटे संकल्पों को फिर से
जीने का एहसास नया है

जाने अनजाने चेहरों पर
चमक रहा हैप्पी न्यू ईयर
मोबाइल के दिल में रह रह
धड़क रहा हैप्पी न्यू ईयर
नये साल में सब कुछ शुभ–शुभ
होने का आभास नया है

–रविशंकर मिश्र रवि
३० दिसंबर २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter