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वर्ष नया आया है |
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बता नव वर्ष इतना तो कि तू
लाया, नया क्या है?
निशा की भेंट चढ़ने फिर दिवस आया, नया क्या है?
खुशी है धूप आँगन की, हवेली हो रही ऊँची,
किसी ने एक मंजिल और बढ़वाया, नया क्या है?
करोगे जानकर भी क्या, कि खुश क्यों डाकिया इतना,
बधाई-पत्र उसने पेट भर खाया, नया क्या है?
कगारों पर खड़े थे हम, कगारों पर खड़े हैं हम,
लहर को देख पागल मन जो ललचाया नया क्या है?
चलो कुछ बीज ही बो दें, सभी के साथ मिल हम भी,
करेंगे कल पता 'नीरव' कि अँखुआया नया क्या है?
-ओम नीरव
३० दिसंबर २०१३ |
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