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नव वर्ष पर फिर |
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औपचारिक शब्द कुछ शुभकामना
के
एक दूजे को कहें नववर्ष पर फिर
हो रहे हैं
जिस तरह से मूल्य खंडित
एक लघु सन्देश तक हैं भावनाएँ
अब ठिठुरने लग रहे सम्बन्ध अपने
आइये मिलकर सभी
ऊष्मा बचाएँ
वर्ष आये हैं, गए हैं
और होंगे एक दिन विश्वास
भी
उत्कर्ष पर फिर
आगमन
नववर्ष को यदि आत्म-
चिंतन पर्व माने चेतना की योजना का
फिर नया सपना सजाएँ आज मिलकर
शांति की, सौहार्द की
अवधारणा का
सीख लें पिछले बरस के
आत्मिक असफल क्षणों से बढ़ चलें, बढ़ते चलें
संघर्ष पर फिर.
-जगदीश पंकज
३० दिसंबर २०१३ |
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