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नये साल की आहट पाकर
 
आओ प्यारे वर्ष! आप से
हर्षित हो कहतीं लतिकाएँ
नए क्षितिज की नई किरन से
यही दुआ है, हरे बलाएँ

गंध, धूप औ ताप आप को
छल न सके संताप आप को
कितने साल गए आए पर
किसको क्या कुछ दे पाए?
पर इस साल जगी बैठी हैं,
सबके मन की अभिलाषाएँ

ले सौभाग्य सजग हो आना
पिछले जैसे मत हो जाना
नवयुग में नव क्षितिज़ खुलें अब
झूमें सब लेकर अंगड़ाई
ओ प्यारे नव वर्ष ! आप से
अँखुआई लगती आशाएँ

कोई कालिख मत पुतवाना
मँहगाई से मत नुचवाना
रहें दलाली की डायन से
मुक्त सदा हम नए साल में
सोना उगले धरती अपनी
हरी-भरी फसलें लहराएँ

-गुणशेखर
३० दिसंबर २०१३

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