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 आ पहुँचा नव-वर्ष
 

सबने अभिनन्दन किया, आ पहुँचा नव-वर्ष
इन्द्रधनुष मन में खिला , जीवन में उत्कर्ष
जीवन में उत्कर्ष, चमक आँखों में आयी
जगे नए संकल्प, भोर खुशहाली लायी
'ठकुरेला' कविराय, खुशी से झूमा जन -जन
सुखदायक नव-वर्ष, किया सबने अभिनन्दन

लायी आशाएँ नई, नये वर्ष की भोर
सबका अंतर्मन हुआ, सहसा भाव-विभोर
सहसा भाव-विभोर, नये सपने मुस्काये
शीतल मंद बयार, खुशी के गीत सुनाये
'ठकुरेला' कविराय, सुबह की लाली भायी
नये वर्ष की भोर, नई आशाएँ लायी

भगवन इस नव-वर्ष में, ऐसा करो कमाल
मेरे भारत-वर्ष में, सब ही हों खुशहाल
सब ही हों खुशहाल न कोई पीड़ा आये
भरें अन्न भण्डार, भूख हरगिज न सताये
'ठकुरेला' कविराय, सुखी हों खग, मृग, जन-जन
सब के मिटें त्रि-ताप , करो कुछ ऐसा भगवन

-- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
३१ दिसंबर २०१२

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