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समय सारिणी
 

देहरी द्वारे रंग बदलना
जीने के सब ढंग बदलना
बदलोगे जब दीवारों पे
टँगी पुरानी समय सारिणी

नव पृष्ठों पर लिखना तब तुम
नई उमंगे, नव अनुबंध
खाली तिथियों में भर देना
स्नेह, प्रेम, सुहास आनन्द
संकल्पों के शंख नाद में
गूँजेगी नव
राग रागिनी

ज्ञान बुद्धि से जरा सोचना
क्या मिट सकती है लाचारी
झोली भर विश्वास बाँटना
मिटे भूख, शोषण बेकारी
अंधियारों में भी पंथ आलोकित
करेगी नभ की
ज्योत दामिनी

गाँठ बाँध तू संग ही रखना
बीते कल की सीख सयानी
सुलझा देगी मन की उलझन
पुरखों की अनमोल निशानी
पग पग अंगुली थाम चलेगी
भावी सुख की
भाग्य वाहिनी

शशि पाधा
३१ दिसंबर २०१२

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