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स्वागत है नव वर्ष
 

स्वागत है
नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है

कितना बहा
आँख का पानी मत पूछो
विगत वर्ष की राम कहानी मत पूछो
किसके सपने टूटे अपने रूठे क्यों
किसकी बूढ़ी हुयी
जवानी मत पूछो
जो कुछ बीता भूलें हम तुम दोनों ही
बांटो आकर हर्ष तुम्हारा
स्वागत है

नहीं रुका है
समय कभी वह सिर्फ चले
बदल-बदल कर रूप छला है और छले
उसी समय के नए रूप तुम भी तो हो
जिसमें सृष्टि पली है
जिसमें प्रलय पले
तुम हो जीवन मृत्यु तुम्हीं उत्थान-पतन
तुम्हीं शान्ति-संघर्ष तुम्हारा
स्वागत है

यह तो
मनुज स्वभाव तृप्ति से दूर रहा
तुम आये तो वही पुरातन प्यास जगी
कुछ खट्टा कुछ मीठा होता है जीवन में
तुम केवल मीठे होगे
ये आस जगी
इसी आस को नव गति दो नव संबल दो
हो सबका उत्कर्ष तुम्हारा
स्वागत है

डॉ. दिनेश त्रिपाठी शम्स
३१ दिसंबर २०१२

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