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नये वर्ष के संग
 

फलीभूत सब टोटके, फरकत बायें अंग
प्रियतम का आवन सुन्यो, नये वर्ष के संग

समय समय का फेर है, समय समय की बात
उनकी है खटिया खड़ी, इनका सुखद प्रभात

भ्रष्‍ट-तंत्र, आतंक, भय, मंहगाई की मार
नया साल शायद करे, इन सबसे उद्धार

लोकपाल चर्चा उतै, इत चुनाव संघर्ष
जनता खड़ी कबीर सी, ताके नूतन वर्ष

नये वर्ष में देखिये, कवि शायर भी व्यस्त
कोइ कहे ताजी ग़ज़ल, कोइ गीत में मस्त

अनिल वर्मा
३१ दिसंबर २०१२

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