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एक नया साल और
 

|| १ ||
कुछ उम्मीदों की कंदीलें
कुछ कल्पनाओं की फुलझड़ियाँ
एक त्यौहार-सा मनायेंगे
और भूल जायेंगे
एक दिन बाद-
वर्ष में कुछ नया जैसा भी होता है!

|| २ ||
नए साल के बारे में
क्या सोचूँ?
पुरानी उम्मीदों और सपनों को
आगे लाने भर से
खाते का
पूरा पन्ना भर जाता है!

|| ३ ||
कल सुबह
जब मैं उठूँगा
सामने होंगी- मेरा माथा चूमती हुईं
कुछ किरणें- सूरज की
मैं थोड़ी देर आँखें मूँदूँगा, मुस्कराऊँगा
और फिर
दिन भर के काम पर लग जाऊँगा!

-उमेश महादोषी
 

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