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एक नया साल और |
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काल, न जाने कब से,
किस ध्यान में बैठा है,
चुप और भाव-विहीन
हर पल लेकिन फेर रहा है एक माला,
समय की माला,
निरंतर बदल रहे हैं,
पल,दिन,महीने,साल और सदियाँ।
निरंतर.. लेकिन नित्य नवीन है,
हर पल , हर साँस।
एक मनका और
एक नया साल और...
-सतपाल ख्याल
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