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नव वर्ष का जादू
 

बाजारों में
छाया है नव वर्ष
सजावटों में झिलमिलाता
झूल रहा है गुब्बारों के गुच्छों में
चमक रहा है
खरीदारी में व्यस्त लोगों की आँखों में
खुशी बनकर बच्चों की किलकारियों में

छुट्टियों के दिन
और, गहमागहमी में बिखर रहा है नव वर्ष
अभिनंदन पत्रों की दूकानों पर
रेस्त्रां की गरमाहट में
काँच की खनक में
उबलते हुए कावे के झाग पर
समाचार पत्रों के विज्ञापनों,
फिल्मी सितारों की आवाज में
टी वी पर ठुमकता हुआ
अजब जादू है
दुनिया पर धीरे धीरे गहराता हुआ

जादू- फिर भी
सबको समेट नहीं पाता बाहों में
छिटक ही जाते हैं अँधेरों में कुछ लोग
अकेलेपन, निराशा, बीमारी, भूख और नींद से बेहाल
उत्सवों से बेखबर
कोई सुगबुगाहट नही गरमाती उनका जीवन
कुछ भी नया नहीं होता नए साल में
उनके लिये

-पूर्णिमा वर्मन
 

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