अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

नए वर्ष का गीत
 

किरण खिलौने हाथ
कण्ठ में नए वर्ष का गीत

मरघट के ठूंठों में फूटे
नए नए कोंपल
ध्वंस भूमि की छाती पर
अँकुराये फिर पीपल
जीवन की सांसों से होने लगी
मृत्यु भयभीत

समय वैद्य के उपचारों से
स्वस्थ हो रहे तन
आशाओं की शाखाओं पर
आये नए सुमन
जीवन गति अबाध है बढ़ना ही
मनुष्य की जीत

-पंडित गिरिमोहन गुरु
 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter