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मैं तो नव वर्ष हूँ
 

मैंने पूछा..
नव वर्ष तुम फिर आओगे !
क्या लाओगे?
स्वार्थ पुराने उन्हें भुनाने
या फिर कुछ नव ताने बाने
मुझे डराने .....?

वो बोला...
मैं तो संघर्ष हूँ!
नव वर्ष हूँ !
जैसे कर्म तुम्हारे होंगे
वैसा ही तो फल लाऊँगा
सुख दुःख दोनों भर लाऊँगा
डरती क्यूँ हो, सहमी क्यूँ हो
नई उम्मीद पर
नए स्वप्न मैं दिखलाऊँगा
विपदा सारी हर जाऊँगा!

बस तुम ...
क्रोध लोभ और मोह, दंभ के
झूठे चटकारे मत भरना
केवल अपना, छोड़, ज़रा सा
औरों का भी चिंतन करना
मैं नव वर्ष हूँ, नया रहूँगा ....
बस जो तुम नूतन हो "नूतन "
तो नूतन बन कर ही रहना !

नूतन व्यास
 

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