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समय चक्र चलता रहा
 
समय चक्र चलता रहा, घड़ियाँ भी गतिमान,
हौले-हौले आ गया, नया साल मेहमान।

रतजागे में रत सभी, शोर मचा चहुँ ओर,
लो मुस्काती आ गई, नवल वर्ष की भोर।

पंछी दुबके नीड़ में, थर-थर काँपे रात,
स्वागत नूतन वर्ष का, नई सुबह के साथ।

लिखते-लिखते थक गए, दोहे कोमल हाथ,
फिर भी मन खुश आज है, नए वर्ष के साथ।

नए बरस का आगमन, लाया शीत अपार,
कुहरे में लिपटा हुआ, हर इक स्वागत द्वार।

सजे धजे बाजार हैं, पब, क्लब, होटल, माल
बारहमासी पाहुना, आया नूतन साल।

नया साल फिर आ गया, जागा है विश्वास,
करम डोर थामे रहें, पूरी होगी आस।

नई सुबह, सूरज नया, नए बरस के साथ,
सुख दुःख मिलकर बाँट लें, मीत बढ़ाकर हाथ।

लाया नूतन साल है, नए-नए उपहार,
कलुष मिटा मन का मना, बाँटो प्यार अपार।

कल्पना रामानी
 

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