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नवागत का स्वागत
 

नवागत
स्वागत करूँ
तुम्हारा अभिनन्दन !
अक्षत आशा ,विश्वासों का
ले कुमकुम चन्दन
रहें सुवासित पवन
जल निर्मल ,हो
निष्कंप धरा
कभी न उमड़े सागर
मन में पीर भरा
याचित यही
मुरझाये मन और नयन को
देना सत्वर आब
रहें न वंचित
नन्हे कर को
देना कलम किताब
कर स्वीकार ,समय-नंदन !

-ज्योत्सना शर्मा
 

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