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नए साल में
 

नए साल में
प्यार लिखा है
तुम भी लिखना

प्यार प्रकृति का शिल्प
काव्यमय ढाई आखर
प्यार सृष्टि पयार्य
सभी हम उसके चाकर
प्यार शब्द की
मयार्दा हित
बिना मोल, मीरा-सी-बिकना

प्यार समय का कल्प
मदिर-सा लोक व्याकरण
प्यार सहज संभाव्य
दृष्टि का मौन आचरण
प्यार अमल है ताल
कमल-सी,
उसमें दिखना।

-अश्वघोष
 

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