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नया वर्ष कुछ ऐसा हो
 

 

 

 

   

 





 

 


 




 

नया वर्ष कुछ ऐसा हो
पिछले बरस न जैसा हो
घी में उँगली मुँह में शक्कर
पास पर्स में पैसा हो।

भूल जायें सब कड़बी बातें
पायें नयी नयी सौगातें
नहीं काटना पड़ें वर्ष में
बिन बिजली गर्मी की रातें
कोई घपला और घुटाला
काण्ड न ऐंसा वैसा हो।

बच्चे खुश हों खेलें खायें
रोज सभी विद्यालय जायें
पढ़ें लिखें शुभ आदत सीखें
करें शरारत मौज मनायें
नहीं किसी के भी गड्ढ़े में
गिरने का अंदेशा हो।

स्वस्थ रहें सब वृद्ध सयाने
बच्चे उनका कहना मानें
सेवा में तत्पर हो जायें
आफिस कोर्ट कचहरी थाने
डेंगू और चिकनगुनियां का
अब प्रतिबन्ध हमेशा हो।

--शास्त्री नित्य गोपाल कटारे
३ जनवरी २०११

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