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आया नया उजाला |
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नए वर्ष में,
नई किरण सँग, आया नया उजाला
नव तरंग हो, नव उमंग मन,
सबको मिले निवाला
आशाओं की कलियाँ
खिलकर, सुख के पुष्प बनेंगे
मानव प्रेम उगे हर हिय में,
हिलमिल लोग रहेंगे
ऐसा हो परिवेश घूम लें, निर्भय
नारी और बाला
आतंकवाद हो गर्त,
शिखर पर होगी मानवता
पग-पग पर हो विजय सत्य की,
हारेगी दानवता
जो गुलाम बन गये नशे के,
वे भी त्यागें हाला
पिछले बरस मिले दुःख जिनको,
भरे सुखों से झोली
जो कटु वचन कहा करते मुख,
उनकी मधु हो बोली
जीवन-मग में करें ज्ञान का,
वीणापाणि उजाला
--सन्तोष कुमार सिंह
३ जनवरी २०११ |
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