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जाओ बीते वर्ष |
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जाओ बीते वर्ष,
तुम्हातरी बहुत याद तड़पाएगी!
जो भी सपने देखे हमने
किए तुम्हींद ने पूरे!
बहुत प्रयास किए लेकिन
अब तक कुछ रहे अधूरे!
माना नए वर्ष में ये
सपने पूरे हो जाएँगे!
और हमारी आशाओं के
नए पंख लग जाएँगे!
किंतु किसी टूटे सपने की
फिर भी याद सताएगी!
जाओ बीते वर्ष,
तुम्हातरी बहुत याद तड़पाएगी!
अगर बिछुड़ते हैं कुछ तो
कुछ नए मीत भी मिलते हैं!
जिनके साथ बैठकर हम
सुख-दुख की बातें करते हैं!
माना नए मिले साथी भी
मन को भा ही जाएँगे!
उनके साथ खेल-पढ़ लेंगे
संग-संग मुस्काएएँगे!
किंतु किसी बिछुड़े साथी की
फिर भी याद रुलाएगी!
जाओ बीते वर्ष,
तुम्हातरी बहुत याद तड़पाएगी!
--रावेंद्र कुमार रवि
३ जनवरी २०११ |
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