|
|
|
नूतन वर्षाभिनन्दन !
नव-वर्ष मुबारक हो,
हर वर्ष मुबारक हो।
हर दिन औ हर इक पल का,
उत्कर्ष मुबारक हो॥
हर प्रात नई खुशियाँ
हर शाम दिवाली हो
आँख में न हों आँसू
हर बात निराली हो।
साकार हों सब सपने,
यह हर्ष मुबारक हो॥
पतझर भी बहारें हों,
सावन की फुहारें हों।
मानवता को अर्पित,
ये प्राण हमारे हों।
इस विश्व में अमन का,
निष्कर्ष मुबारक हो।
जाति न हो कोई भी,
मजहब न कोई भी होगा
भाषाई दिवारों से
मानव न बँटा होगा ।
हर भोर की किरण का,
स्पर्श मुबारक हो।
नव वर्ष मुबारक हो,
हर वर्ष मुबारक हो।
--कश्मीर सिंह
३ जनवरी २०११ |