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नव वर्ष अभिनंदन
2007

    ऐसा नया साल

 

अबकी आए ऐसा नया साल
हो जाए हर गाँव शहर खुशहाल

भइया के मुँह से फूटे संगीत
भौजी के कंगना से खनके ताल

आए रे आए ऐसा मधुमास
फूल खिलाए ठूंठ पेड़ के डाल

झूम-झूम के नाचे मगन किसान
इतना लदरे जौ गेहूँ के बाल

दिन सोना के चाँदी के हो रात
हर अंगना मे ऐसा होए कमाल

मस्ती मे सब गाए मिल के फाग
उड़े प्रेम का ऐसा रंग गुलाल

लौटे रे लौटे गाँवों मे गाँव
फिर से जमे ओ संझा का चौपाल

मनोज भावुक

  

एक और संकल्प

नया साल आएगा
फिर से
आशा की
नई किरणों को सजा कर।

इस बार
उन सुनहरी किरणों में
नव वर्ष की
शुरुआत
चलो मिल कर करें
एक बार फिर से।

दृढ संकल्प
शिक्षा का प्रचार करने का
गरीबी दूर भगाने का
बेरोज़गारी मिटाने का

समानता को धराताल पर लाने का
भाइचारे की भावना को
पुन: बीजारोपित करने का।

विश्वबंधुत्व को आत्मसात करने की
चेष्टा में
कदम से कदम मिलाकर
लक्ष्य पाने की दिशा में
प्रयत्नशील हों।

इन्हें
वास्तविकता में
लाने की
प्रतिज्ञा के साथ।

वीणा सिंह चौधरी

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