नव वर्ष की शुभकामनाएँ
खिल गई है उपवनों में
गुलमोहर की डाल फिर
आ रहा है मुस्कराता
प्यार लेकर साल फिर।
पवन में मस्ती मिली है
साँस में खुशबू घुली है
लाज के सिंदूर रंग से
हैं गुलाबी गाल फिर।
नज़र के जो जाम छलकें
बन गई चिलमन ये पलकें
हो गई देखो नशीली
प्रियतमा की चाल फिर।
नवल आशा मुस्कराती
धवल कलियाँ खिलखिलाती
इंद्रधनुषी-सी सजी है
सुमन सुरभित डाल फिर।
कृष्णा खंडेलवाल 'कनक'
प्रतिज्ञा
आइए नया साल धूमधाम से मनाएँ
राष्ट्र के प्रति अपना समर्पण दोहराएँ
स्वार्थ अन्याय गरीबी को हराएँ
संवेदनशील
व
भावपूर्ण
जीवन
अपनाएँ
---रीतेश गुप्ता
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