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        नया वर्ष आया

 

चलो विसर्जित करें पुराना
नया वर्ष आया

बावन बीघा फैला है जो
कर्जा किसको सौंपें
संकोची मन की आशाएँ
कहो कहाँ फैंकें
कहाँ छिपा दें गीला गूदड़
जिसे सुखा ना पाया

घरवाली के पास रखी है
चिंताओं की थैली
अम्मा ने कब से पहनी है
तन पर धोती मैली
ठिठुरा लाल कड़ी सर्दी में
कंबल ले ना पाया

लाल बही में छिपे पड़े हैं
कई वर्ष अधनंगे
जुरी नहीं थी सूखी लकड़ी
और न सूखे कंडे
कौड़ी-कौड़ी रहा जोड़ता
रुपया देख न पाया

- कल्पना मनोरमा
१ जनवरी २०२१

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