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नवल वर्ष आतुर है
 
नवल वर्ष
आतुर है लेकर
स्वर्ण रश्मियों की सौगात

तारीखों पर टाँके
आओ
बिंदी आशाओं की
छोड़े राग द्वेष हम घोले
मिसरी भाषाओं की

भरी उमंग हो
जन-जन में औ' सभी
करें खुशियों की बात

आते- जाते
दिन पल से हम
मुस्काहट का माँगे नेह
मधुर प्रेम की धूप तापकर
गरमाहट से भर लें गेह

भोर सूर्य
की लाली से अब
खिले धरा पर नवल प्रभात !!!

- त्रिलोचना
१ जनवरी २०१७

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