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नव वर्ष का दिनमान
आया |
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नव तरंगो से भरा, नव
वर्ष का दिनमान आया
फिर विगत को भूलकर
मन में नया अरमान आया
खिड़कियों से झाँकती, नव
भोर की पहली किरण है
और अलसाये नयन में
स्वप्न में चंचल हिरण है।
गंध-पत्रों से मिलाने
दिन, नया जजमान आया।
खेत में, खलियान में, जब
प्रीत चलती है अढाई
शोख नज़रों ने लजाकर
आँख धरती पर गढ़ाई।
गीत मंगल, गान गाओ
हर्ष का उपमान आया
नित समय के साथ बिखरी
एक मुट्ठी आस कोपल
द्वार अंतर्घट खुले हों
कर्म से, सज्जित मधुर पल
सुप्त सुधियों को जगाने
खुशबु का पवमान आया
झर गए पत्ते समय के
बन गया इतिहास जाजम
द्वार पर आगत खड़ा है
मंत्र गुंजित, छंद आजम
हौसलों के बाँध घुँघरू
नव बरस अधिमान आया।
- शशि पुरवार
१ जनवरी २०१७ |
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