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आया है नया साल
 
रंग वही, ढंग वही, बदला नहीं हाल
कहने को फिर भी आता है नया साल
काश कभी ऐसी भी बदल जाये चाल
गर्व से कहें सब आया है नया साल

दूषित सब नज़रों को भस्म करे काल
कालिमा दिलों की जला दे महाकाल
बहू-बेटियों को हों राहें मयस्सर
बढ़ें आगे वो भी निःशंक बिना डर

टूट जाएँ घुटन भरे एक-एक जाल
गर्व से कहें सब आया है नया साल

सोये न रात कहीं दुःख से सिसकती
भौर न जागे कहीं क्षुधा से तड़फती
कुटीरों में हो न दारिद्र का कोहराम
पनपे कहीं न जागीरें बेलगाम

भीख नहीं माँगें न हो कोई बदहाल
गर्व से कहें सब आया है नया साल

सियासती दाँव-पेंच ख़ुद हों शर्मसार
दहशतगर्दों का अब बन्द हो व्यापार
मेरे तेरे पन्थों को भूलें हम सब
एक देश एक धर्म गीत गायें अब

मज़हबी उन्माद कभी बन न सके ढाल
गर्व से कहें सब आया है नया साल

आओ अपराधों की जला दें होली
बिन ताले द्वार रहें महल या खोली
फूल खिलें सतरंगी झूम उठे चमन
महके इन हवाओं में अमन ही अमन

भय से न प्राण कोई हो कहीं बेहाल
गर्व से कहें सब आया है नया साल

- सीमा हरि शर्मा     
१ जनवरी २०१७

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