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स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा
 
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा, अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा
देकर नवल प्रभात विश्व को,
हरो त्रस्त जगत का अंधियारा

हर मन को दो ऐसी आशा, बोलें लोग प्रेम की भाषा
समझे जीवन की सच्चाई, पाटें सब कटुता की खाई
जन जन में सदभाव जगे, औ‘ घर-घर में फैले उजियारा
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा

मिटे युद्ध की रीति पुरानी, उभरे नीति न्याय की बानी
भय आंतक द्वेष की छाया का होवे संपूर्ण सफाया
बहे हवा समृद्धि दायिनी, जग मे सबसे भाईचारा
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा

करे न कोई अब मनमानी दुख आँखों मे भरे न पानी
हर बस्ती सुख शांति भरी हो, मुरझी आषा लता हरी हो
भुला सके जग सब पीडायें दुख दर्दों क्लेषों का मारा
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा

वातावरण नया बन जाये, हर दिन नव सौगातें लाये
सब उदास चेहरे मुस्कायें, नव विचार नव फूल खिलाये
ममता की शीतल छाया में जिये सुखद जीवन जग सारा
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा

प्रो. सी. बी. श्रीवास्त विदग्ध  
१ जनवरी २०१७

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