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नये साल में
 
रहे सलामत हुक्का-पानी
नये साल में।

गए साल ने जाते-जाते
सब गति कर दी
हुए कई कंगाल किसी की
झोली भर दी

और न हो अब खींचा-तानी
नये साल में।

कहीं किसी की प्रीति फले
जीवन मुस्काये
कहीं नेह का दीप जले
रजनी हर्षाये

नये सुखों की नित अगवानी
नये साल में।

कहीं किसी के आँसू को
मिल जाये आँचल
कहीं किसी के सपनों को
मिल जाये सम्बल

हों पूरी सब साध पुरानी
नये साल में।

हमने बंदनवार सजाये
सजी रँगोली
तुम्हें लगाऊँ तिलक भाल पर
अक्षत रोली

मत करना अबके मनमानी
नये साल में।

- अमिताभ त्रिपाठी 'अमित'    
१ जनवरी २०१७

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