अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

जाफरानी हवाएँ नये साल की
 
जाफरानी हवाएँ चलेंगीं
नए साल की
मौसम की फिज़ाएँ सभी
होंगी कमाल की

चिड़ियों का भी कलरव
धरा पे गूँज उठेगा
छलकेगी रौशनी भी
चाँदनी के जाल की
गूँजेंगे मधुर गीत
लिये प्रीत भरे स्वर
चहकेगी नयी रागिनी भी
चंग ताल की

बागों में फागुनी बसंत
लौट आयेगा
रंगत भी देखना
गुलोँ के सुर्ख गाल की
नववर्ष के स्वागत मेँ
झूम झूम कर
खुशियों संग उतरेगी
नवीन पालकी

- डॉ सरस्वती माथुर
१ जनवरी २०१७

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter