|
नवल वर्ष की भोर
(कुंडलिया) |
|
डैनों में विश्वास भर, बढें
क्षितिज की ओर
देती है संदेश यह, नवल वर्ष की भोर
नवल वर्ष की भोर, और अरुणाई कहती
उत्तम रहें प्रयास, सफलता मिलकर रहती
चलते रहते पाँव, सदा जो दिन-रैनों में
बना लक्ष्य विश्वास, रहे उनके डैनों में।
राहें दुर्गम हों भले, सुविधाएँ हों अल्प
फिर भी नूतन वर्ष में, करना है संकल्प
करना है संकल्प, और है बढ़ना ऐसे
गढ़ना है निजरूप, शिला गरिमामय जैसे
निश्छल रखना कर्म, मिटेंगी दुख की आहें
उजलायेंगी 'रीत', कभी तो अपनी राहें।
फेरी छाया धूप की, साथी सहना मौन
पतझड़ बिना बसंत को, जान सका है कौन
जान सका है कौन, यही है अनुभव कहता
प्रातकाल निर्बाध, सदा है आकर रहता
नवल वर्ष की भोर, खिलेगी खुशियाँ ढेरी
'रीत' सुनो हे मीत, घटेगी पतझड़ फेरी।
- परमजीत कौर
'रीत'
१ जनवरी २०१७ |
|
|
|
|
|